कबिता : उन्कै माया

शारदा केसी २०७८ जेठ १ गते १२:५६ मा प्रकाशित

माया उन्कै गाली उन्कै
सम्झना नि रातदिन उन्कै
सिङगार उन्कै सिन्दुर उन्कै
लाली गाजल चूरी उन्कै

खेलु कुदु जता जाऊ जे गरु उन्कै
घर आँगन करेसा बारि उन्कै
पिँडी पालि ढिकी जातो उन्कै
चुलो चौको पानी पँधेरी उन्कै

पूजा पाठ मठ मन्दिर धाउनु
अबिर थालि अक्षता उन्कै
दिर्घायुको कामना बरदान उन्कै
दुख सुख अँगालो उन्कै

जवानीको रुप रंग उन्कै
खुशियाली रमाइलो उन्कै
फूलबारीमा फुल उन्कै
फुलमा डुल्ने भमरा अनि
मौरी उन्कै।

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