जलचुकी झुपडी हम सोते रहे !
इनेप्लिज
२०७२ साउन २७ गते १६:५४ मा प्रकाशित
हम भी तो गधे हैं कि
इस मायनेमे,हम ढोते रहे
हम ढोते रहे
सांसारिक दुख बहन
करके हम, हर दिन रोते रहे
हर दिन रोते रहे
सुख चयन पथ सुलभ यूँ
है प्रभुपद हर दिन, लेकिन खोते रहे
प्रभुपद हर दिन , लेकिन खोते रहे
संबर संबर के चलना यारो
जलचुकी झुपडी, हम सोते रहे
जलचुकी झुपडी, हम सोते रहे !
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