নেপালি কবিতা – ১২৬
साहित्यकार कमला प्रसाईंको बंगाली भाषामा प्रकाशित कवितालाई इनेप्लिजमा पनि प्रकाशित गरेका छौ ।
छोरी
कमला प्रसाईं
न्यूयोर्क, अमेरिका
কন্যা
কমলা প্রসাই
নিউইয়র্ক,
মার্কিন যুক্তরাষ্ট্র
অগ্নির শিখা বহন করে
অন্যায়তে এগিয়ে যাও
ভূমিকম্প হয়ে
সরু রাস্তায় ভেঙ্গে যাও
হাঁটার পথে থাকা
কাঁটাকে পা দিয়ে মুছে যাও
এভাবে করতে যাও
কন্যা তুমি এগিয়ে যাও ।
মাঝে মাঝে-
হাঁটতে হাঁটতে পথগুলো এলোমেলো হয়ে যায়
বিনা দ্বিধায় মূল পথ বেছে নিয়ে যাও
তোমার কানে না আসার
কণ্ঠস্বর আরও জোর হতে পারে
কিন্তু, সেখানো জোড়ালো কণ্ঠস্বর ভাসাতে যাও
কোথাও বাঁচতে চাওয়ার অনুভূতি রগরগ করে
তাদের বের হওয়ার পথ দেখাবে
সৃষ্টির সার ছড়িয়ে যাক সৃজনশীল মননে
নিজের অস্তিত্বের জন্য আওয়াজ তুলবে
কোটি কণ্ঠে কাঁদে বসো
তবে একা আনন্দে হাসতে এসোনা
এখানে কখনও কখনও পথে
কালো সাপ ও বিচ্ছুও হতে পারে
ভারী হৃদয় দিয়ে তাদের পদদলিত করো
সৃষ্টির জন্য
বুলেট ধরার বুকে গড়ে তুলো
কাঁটার মাঝে কুসুমিত হয়ে
প্রস্ফুটিত ফুল হয়ে প্রস্ফুটিত হও
এভাবেই এগিয়ে যাও কন্যা ।
छोरी
कमला प्रसाईं
न्यूयोर्क, अमेरिका
आगोको राँको बोकेर
अन्यायमा अघि बढ्दै जाऊ
भुइँचालो बनेर
साँघुरा गल्लीहरू भत्काउँदै जाऊ
हिँड्ने बाटाहरूमा ओछ्याइएका
काँड़ाहरू टेक्दै जाऊ
यस्तै- यस्तै गर्दै जाऊ
छोरी तिमी अघि बढ्दै जाऊ ।
कहिलेकाहीँ-
हिड्दै जाँदा बाटाहरू बाङ्गाटिङ्गा हुन्छन्
नअलमलिई मूलबाटो रोज्दै जाऊ
तिम्रा कानमा पर्न नहुने
स्वरहरू पनि गञ्जिन पुग्छन्
तर, त्यहाँ दरिलो स्वरहरू भर्दै जाऊ
कहीँ बाँच्न खोज्ने भावनाहरू छटपटिरहेका हुन्छन्
तिनीहरूलाई निकासको बाटो देखाउँदै जाऊ
सिर्जनशील मनहरूलाई सिर्जनाको मल छर्दै जाऊ
आफ्नो अस्तित्वको निम्ति आवाजहरू उठाउँदै जाऊ
लाखौँ आवाजहरूसँग रुँदै बस
तर एक्लो खुसीमा हाँस्दै नआऊ
यहाँ गोरेटाहरूमा कहिलेकाहीँ
काला सर्प र बिच्छीहरू पनि हुन्छन्
तिनीहरूलाई दह्रो मुटु राखेर कुल्चँदै जाऊ
राष्ट्रका निम्ति
गोलीहरू बोक्ने छातीहरू बनाउँदै जाऊ
काँड़ैकाँड़ाका बीचमा फक्रिएर
फुल्ने फूल भएर फुल्दै जाऊ
यसरी नै छोरी तिमी अघि बढ्दै जाऊ ।।
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