कालजयी महाकवि विद्यापति (संक्षिप्त परिचय)

देवेन्द्र मिश्र २०७७ पुष ३ गते ३:०८ मा प्रकाशित

महाकवि विद्यापतिक पूरा नाम विद्यापति ठाकुर अछि । हिनक जन्म तत्कालीन मिथिलाक विस्फी गाममे भेल छल । ई गाम एखन बिहार राज्य अन्तर्गत मधुबनी जिलामे अछि । हिनक जन्मकालक सम्बन्धमे विभिन्न विद्वानक अलग-अलग मत अछि । मुदा ऐतिहासिक घटनाक्रम आ हिनक लिखल किछु पाेथीसभमे उल्लेखित सम्वतक आधारमे हिनक जन्म १३६० ईश्वी अ निधन १४५० ईश्वी अधिकांश विद्वानद्वारा मानि लेल गेल अछि । हिनक लिखल एकटा पदमे उल्लेख भेल अनुसार निधनक तिथि कातिक शुक्ल त्रयाेदशी रहल तथ्य सेहाे स्वीकार कएल गेल अछि ।
विद्यापतिक आयु अवसान ।

कातिक धवल त्रयाेदशी जान ।

मिथिलाक कर्णाटवंशीय राजा नान्यदेवक वंशक अन्तिम शासक हरिसिंह देवक पतनक बाद ओइनिवार वंशक शासन मिथिलामे प्रारम्भ भेल । ओहि वंशक पहिल राजा कामेश्वर ठाकुर भेलाह । एही वंशक परवर्ती राजालाेकनि कीर्ति सिंह, शिवसिंह आदिक राज्यकालमे विद्यापति राज्याश्रित विद्वान आ सन्धि-विग्रहिकक रूपमे दरबारमे रहलाह । राजा शिवसिंहसँ ई दू वरखक जेठ छलाह आ दूनूमे मित्रता छल । एकबेर दिल्लीक सुल्तानद्वारा शिवसिंहकेँ बन्दी बनाएल गेलापर विद्यापतिए अपन काव्य-काैशलक प्रभावसँ हुनका मुक्त कराैने छलाह । शिवसिंहक अज्ञातवासक समय हुनक रानी लखिमा देवीकेँ सुरक्षित रखबाकलेल विद्यापति १२ वर्षधरि सप्तरीक राजबनाैलीक राजा पुरादित्य गिरिनारायणक आ श्रयमे रहलाह । १२ वर्षक बादाे शिवसिंहक अतापता नइँ चलल आ कुशक दाहसंस्कारक सङ्ग लखिमादेवी सती भ’ गेली आ तकर किछु वर्षक बाद विद्यापतिक निधन भेल ।

विद्यापति संस्कृतक विद्वान छलाह । ओ अवहट्ठ भाषाक दूटा ग्रन्थ : कीर्तिलता आ कीर्तिपताका आ संस्कृत भाषाक ग्रन्थ सहित विभिन्न शासकक निर्देशनानुसार एक दर्जनसँ बेसी पाेथी लिखलनि । हिनक कृतिसभमे पुरुष परीक्षा, गाेरक्ष विजय, कीर्तिलता,कीर्तिपताका, शैवसर्वस्वसार, गंगावाक्यावली, विभागसार,दुर्गाभक्तितरङ्गिणी, दानवाक्यावली, लिखनावली, श्रीमद्भागवत आ दि अछि । मुदा विद्यापतिक प्रसिद्धि हिनक लाेकभाषा (देसिल बयना)मे कएल गेल हजाराे गीतसभसँ भेल । हिनक कालजयी रचनासभ विगत छओ शदीसँ लाेककण्ठमे रचल-बसल अछि ।

हिनक पदावलीसँ प्रभावित भ’ नाेवेल पुरस्कार विजेता विश्वकवि रवीन्द्रनाथ टैगाेर(ठाकुर) हिनका काव्यगुरु मानैत भानुसिंहक उपनामसँ “भानुसिंहेर पदावली” हिनके शैलीमे रचलनि ।

देसिल वयना/मिथिला भाषा/मैथिली भाषाक एहि महान कवि, कवि-काेकिल,कविशेखर,अभिनव जयदेव आदि उपनामसँ विभूषित महाकवि विद्यापतिकेँ ताधरि स्मरण कएल जाएत, जाधरि एहि धरापर भाषाक अस्तित्व रहत ।

#देवेन्द्र मिश्र,छिन्नमस्ता-१,राजविराज-२, सप्तरी,नेपाल #

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